हे निवेदिता,करूं निवेदन
स्वीकृत कर दे यह आवेदन
प्यार भरा मैं मधुर भाव हूँ,
फूलों ने जो दिया घाव हूँ
तीखी नोक तेग नैनों की,
करती रही ह्रदय का छेदन
क्रिया हीन जीवन हो जाता,
जाने क्या मुझको हो जाता
तुम बिन सृष्टि लग रही नीरस,
प्रणय प्यार कर, कर दो चेतन
आशाओं से दूर अभी हूँ,
ईश्वर कसम मजबूर अभी हूँ
जीता हूँ मै प्रेम बिना यों
मृत जैसे भावुक सम्वेदन
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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