Monday, December 11, 2023

कभी नैन देखता हूँ कभी नक्श देखता हूँ ,
तेरी शोख अदाएं तसल्ली बख़्श देखता हूँ..!

चाँद सी कशिश है ताजमहल सा जिस्म ,
झील सी गहरी आँखों में इश्क़ देखता हूँ...!

अंगारों से होंठ तेरे ज़ुल्फ़ घटा सावन की ,
हर तरफ वादियों मैं तेरी खुशबु देखता हूँ..!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment