Friday, December 8, 2023

आंख में कुछ नमी नमी सी है 
तेरी चाहत जगी जगी सी है
तेरे आने की राह तक तक कर 
अब नज़र भी जमी जमी सी है

चोट तेरी ज़फ़ा की जानेमन 
मेरे दिल पर लगी लगी सी है
तेरे बिन महफिलों में मेरे सनम 
मुझको लगती कमी कमी सी है

तेरे दीदार के बिना हमदम 
सांस मेरी थमी थमी सी है
लोग लाखों हैं पर तबीयत यह 
सिर्फ तुममें रमी रमी सी  है

खुशियाँ फैली हैं जान चारों तरफ 
किन्तु दिल में गमी गमी सी है
राज इस बेरुखी से तेरी सुन 
मेरी हसरत ठगी ठगी सी  है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
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