आंख में कुछ नमी नमी सी है
तेरी चाहत जगी जगी सी है
तेरे आने की राह तक तक कर
अब नज़र भी जमी जमी सी है
चोट तेरी ज़फ़ा की जानेमन
मेरे दिल पर लगी लगी सी है
तेरे बिन महफिलों में मेरे सनम
मुझको लगती कमी कमी सी है
तेरे दीदार के बिना हमदम
सांस मेरी थमी थमी सी है
लोग लाखों हैं पर तबीयत यह
सिर्फ तुममें रमी रमी सी है
खुशियाँ फैली हैं जान चारों तरफ
किन्तु दिल में गमी गमी सी है
राज इस बेरुखी से तेरी सुन
मेरी हसरत ठगी ठगी सी है
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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