Friday, December 15, 2023
ये शाम ढल चुकी है, अब तक तूं न आयी।
पता क्या है जिन्दगी का, खलती तेरी जुदायी।।
थक गया हूं चलते-चलते, आके मुझे सम्हालो।
दर्द देख दिल का, रजनी भी मुस्करायी।।
चंदा भी झांकता है, मद्धिम चाँदनी सहारे।
यह दशा देख मेरी, कुमुदिनी खिलखिलायी।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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