Tuesday, December 5, 2023

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है,
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है। 

सीने में लिए दर्द घुट-घुट कर मरता है,
होंटो पर रख मुस्कान मंद-मंद मुस्कुराता है।

मर्द होने की कीमत चुकाना पड़ता है,
भविष्य में परिवार को चलाना होता है।

इसकी चिंता होश सम्भालते रखना होता है,
हर की पूर्ति को पूर्ति करना होता है।

गर हुई पत्नि-माँ में अन बन,
दो पार्ट के बीच पिस जाना है।

कोई कानून समाज हक में नहीं होता है,
कदम कदम पर मर्द को ही गलत ठहराया जाता है।

पुरुष संतान पैदा करने का दर्द नहीं सहता है,
लेकिन अच्छी परवरिश देने का दर्द जानता है।

अपने परिवार से दूर रहना क्या होता है,
दूर रह कर कमाने का दर्द मर्द ही जानता है।

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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