Sunday, January 21, 2024

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी,

प्रीत में हित की सोच रखो 
तो मीत को न भरमाओ सखी।

प्यार तो इक धधकता अंगार है,
हरदम मचलता रहता उर ज्वार है।

इस ज्वार का वार सह न सको,
तो सागर सन्निकट न जाओ सखी।

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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