Monday, January 29, 2024

अच्छा सुनो
आज साडी पहनने का मन नहीं तुम्हारा
तो मत पहनो जो मन हो वो पहन लो
ये भारी भरकम जेवर भी नहीं पहनने
तो किसने कहा उतार दो
तुम्हारी सादगी ही श्रंगार है

आज बालों को खुला छोडना है
हां तो, लहराने दो न इन्हें हवा में
चूडी भी नही पहननी तो मत पहनो
तुम्हारी हंसी की खनक ही बहुत है
बिन्दी नही लगानी तो मत लगाओ न यार
इतना क्यों सोचना दुनिया को क्या देखना

हर रीति रिवाज से दूर तुम सिर्फ 
मेरी खुशी के लिये सोचो
कि तुम्हारी आंखों की चमक और 
होंठो की खिलखिलाहट देखने 
के लिये कबसे तरस रहा हूं!

अरे ! ये मैं नहीं ये वो कह रहा है
तुम्हारा मन जो आइने में बैठा
हर पल तुम्हें प्यार से निहारे जा रहा है 
और एक तुम हो
कि हर बार उसे अनदेखा, 
अनसुना किये जा रही हो !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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