प्रेरणा हो तुम प्रिये, मैं गीत लिखता जा रहा हूं।
साथ मेरी चल पड़ी हो चाहे दुष्कर हो डगर
ढ़ाल बनकर तुम खड़ी हो आएं कितने बवंडर
तुम मेरी पतवार हो मैं नाव खेता जा रहा हूं।
प्रेरणा हो तुम प्रिये मैं गीत लिखता जा रहा हूं।
तुम मेरे जीवन में मधुर मुस्कान बन कर आ गई हो
मैं बेसुरा राग था तुम तान बन कर आ गई हो,
तुम मेरी हो बांसुरी मैं संगीत बनता जा रहा हूं।
प्रेरणा हो तुम प्रिये मैं गीत बनता जा रहा हूं।
बस गई हो तुम प्रिये तन- मन में मेरे इस तरह
झूमकर मिलती है लहरें सागर में आकर जिस तरह
तुम मेरी हो प्रियतमा मैं मनमीत बनता जा रहा हूं,
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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