पीत वसन कुंदन बदन,
मुख चंद्र लजावन हारे हैं
दंत धवल कपोल कमल,
ज्यों अरुण अधर रतनारे हैं
गज गामिनी चाल चारु चपल,
मधुर सुधा सम वाणी सफल
विशाल नयन चंचल चितवन,
केश घटा घन कारे हैं
श्रृजनहार की अद्भुत रचना,
छवि मोहक देख कठिन रहना
स्वर्ग की कोई अप्सरा जैसी,
देख मुग्ध जग सारे हैं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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