Tuesday, June 11, 2024

यही सिलसिला अब चले बस प्रलय तक
निलय नद पुलिन पर बनाया करूँ मैं।

वहीं चाँद आए वहीं चाँदनी हो
प्रणय गान गाएँ मुदित यामिनी हो

घरौंदे वहीं रेत के नित गढेगें। 
लहर के अयन पर उभय नित चढेंगे। 

कभी रूठ जब तू नयन फेर लेना
तुझे चिर निशा तब बनाया करूँ मैं। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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