Sunday, June 9, 2024

उसे मेरे बिन जीना आता होगा,
मुझे उस बिन जीना नहीं आता। 

किस तरह गुजारू तन्हा जिंदगी, 
मुझे ग़म में भी पीना नहीं आता। 

गुस्ताखियां गुरूर से हुई है अगर,
तो रिश्तों को सीना नहीं आता। 

मुकद्दर का क्या है बदल जाता है,
सदैव सुहाना महीना नहीं आता। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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