उदास बैठा था बड़ा गुम सुम.....
तभी याद आये चाय और तुम....
चेहरे पर अनायास मुस्कराहट आ गयी
धीरे से जब तुम्हारी आहट आ गयी....
ये बारिश का मौसम और चाय का प्याला
जैसे कर गया अंधेरे में उजाला....
चाय से उठती वो लहराती भाप
जैसे बादलो में लगा दी आग.....
होंठो से लगी तो सुकून आ गया
उस पर तेरी मौजुदगी लगा खुदा आ गया.....
बस यूँ ही पास बैठे रहो थोड़ी इबादत होने दो
जिंदगी शुरू होती है तेरे आने से
और चाय की प्याली के खड़खड़ाने से.....
सोचता हूँ दुनिया बस इतनी रहे......
मैं,चाय और तुम जितनी रहे.......
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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