गुनगुनी धूप जब मुस्कराने लगे।
दिन बहारों के तब पास आने लगे।।
फूल चारों तरफ़ जब सुहाने लगे।
मदभरी गंध तब मन को भाने लगे।।
भीग जाता है जब खेत बरसात में,
तब फ़सल धान की लहलहाने लगे।।
आज महफ़िल में फिर आपको देखकर,
हम ख़यालों में दीपक जलाने लगे।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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