Friday, August 30, 2024

पिछली बात भुला कर नई शुरुआत करते है,
आओ अज़नबी बन कर फिर से हम मुलाकात करते है,

जो याद दिल दुःखाए उसे जला कर राख करते है,
कड़वाहट की धूल झाड़ दिलों को साफ करते है!

फूलों सा महक कर ख़ुशी का इज़हार करते है,
काँटों से भी दोस्ती कर उनका इस्तक़बाल करते है..!

ना होगी कोई शिकायत ,नफ़रत को आज़ाद करते है ,
वही वक़्त और उसी जगह हम आपका इंतजार करते है.!

कह देते है हम_तुम से, तुम भी कह दो ये हमसे ,
एक दूजे की चाहत में, हम और बेइंतहा प्यार करते है..!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 27, 2024

नशीली आँखों का,कौन नहीं कायल
कजरारे नैनो से होते,हर कोई घायल।

चढ़ा इश्क इसपे तू ,प्रीत की चाशनी
दीवाना बनाया हमें बावरा,तू,नाजनी।

रात का काजल है, तू भोर की तहरीर
तु लाली शाम की,मेरे नैनो की तासीर।

करे बातें, नैनो के काजल,जगे हसरत
होती जब तुम खामोश,लेती रुखसत।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 25, 2024

मुहब्बत निभाने के, दिन आ रहे हैं,
सनम पास आने के, दिन आ रहें हैं।

सफ़र आपसे है, हमारा मुक़म्मल,
कि वादे निभाने के, दिन आ रहें हैं।

बड़ा ख़ूबसूरत समाँ, आजकल का,
दिलों की सुनाने के, दिन आ रहें हैं।

सनम हुस्न पर, तुम न इतराओ इतना,
ये घूँघट हटाने के, दिन आ रहें  हैं।

दिलो जान से हमने, चाहा है तुमको,
यही अब बताने के, दिन आ रहें हैं।

चुराओ न हमसे, नज़र अब तो जानम,
निगाहें_मिलाने के, दिन आ रहें हैं।

भला इतना, ग़ुमां क्यूँ है उनको,
उन्हें आज़माने के, दिन आ रहें  हैं।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 24, 2024

नज़र को नज़र से मिलने तो देते।
मुहब्बत की शम्मा तुम जलने तो देते।।

ए कैसा कहर तुमने ढाया है मुझपर।
दिल को तुम दिल से मिलने तो देते।।

ए सोहरत ए दौलत नहीं देखी जाती।
निगाहें करम तुम गर करने तो देते।।

है नज़रें मिलाना बस तुमसे है साकी।
मयखाने में आने औ मिलने तो दे देते।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 14, 2024

मेरी मिन्नत है खुदा तुमसे, कि उनसे आंखें चार हो।
प्यार मिले या ना मिले, पर उनका ही दिदार हो।

मलमली दुपट्टा के नीचे, रेशमी कुर्ती औ सलवार हो।
गुलाबी होंठ, कमर पतली, लंबे बाल,नयन तलवार हो।

अदा हो बादलों जैसी नजाकत चाँद-सी चटकार हो।
इस पार हम,उस पार वो मचलती, बीच में मझधार हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 12, 2024

दूर क्यों बैठे गुमसुम होकर,
मन में मत शरमाहट लाओ

ग़लतफ़हमी हम दूर करेंगे 
ग़र अनजानी आहट लाओ

माना मौसम सर्द हुआ पर, 
दर्द -ए-दिल क्यों सहमा-२

महफ़िल में है शोर शबनबी,
मधुबन में नरमाहट लाओ

सुनो हवाओं सर-सर चलकर,
कानाफूसी बंद करो तुम,

मेरा मन तो भावों से भीगा,
तन में कुछ गरमाहट लाओ

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 8, 2024

माह भर तुझसे परे रहकर हुआ निष्प्राण कविते
भेंट ले भर अंक मुझको,भर पुनःनव प्राण कविते

भावनाओं की सदा तूँ संगिनी निःस्वार्थ कविते
तूँ हृदय में पल रहे हर भाव में निहितार्थ कविते 

पूर्णतः असहाय था मैं, पूर्णतः निरुपाय भी था
ज्यों रहे होंगे कभी गाण्डीव के बिन पार्थ कविते

सत्य है! तुझ बिन हमारा शून्य है परिमाण कविते!
भेंट ले भर अंक मुझको भर पुनः नव प्राण कविते!

तूँ अबोली है भले ही बोलते  हर शब्द कविते!
इस जगत को निज तुला में तोलते हर शब्द कविते!

अनकही मन की कथाएँ रह गयीं थीं जो हमारी
पट उन्ही अभिव्यक्तियों के खोलते हर शब्द कविते!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 1, 2024

मैं चला था द्वंद लेकर मौन अपने संग लेकर
पहली पंक्ति में खड़ा था अनगिनत संबंध लेकर

स्वयं में सम्पूर्ण होकर संघर्ष से परिपूर्ण होकर
राग लेकर द्वेष लेकर कुछ नया परिवेश लेकर

बोलते पेड़ों को लेकर टूटती लहरों को लेकर
मैंने समझा मैं ही अविरल मैं धरा पर श्रेष्ठ हूं

दान और अभिमान मैं ही सृष्टि का वरदान मैं ही.
पाप के फूटे घड़े में सामर्थ्य भरता पुण्य हूँ
शिखर पर बैठा अकेला सतह पर मैं शून्य हूँ, 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य