Wednesday, July 31, 2024

महज़ इश्क़ नहीं रूह का रिश्ता है तुझसे
तुझे नहीं है यक़ीं तो जाने दे

मेरी हर धड़कन तुझ से मेरी हर सांस में तू
गीतों के बोल तुझ से मेरी कविता के शब्द तू

मेरे वजूद का कारन तू जीने की वजह बस तू
तेरे मन की तु जाने मरने तलक हूं अमानत तेरी
तुझे नहीं है यक़ीं तो जाने दे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 29, 2024

अक्षरों से कुछ  सीखें कैसे निभाते हैं साथ
पाकर नजदीकियां समझाते हैं अपनी बात।

अक्षर टूटकर शब्दों से जब रूठने लगते हैं
भाव अधूरे रह जाते उलझ जाते जज़्बात।

दिल से निकले शब्द नया इतिहास रचते हैं
यही शब्द मरहम बनते कहीं करते आघात।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 19, 2024

चन्द्र-वदन मृगलोचनी, सुंदर रूप- स्वरूप! 
चितवत चलत चकोर जस, मुख पर फैली धूप!! 

प्रियतम के रस में पगी,सौम्य सुलभ मुस्कान! 
तकती घूंघट ओट प्रिय, चला नयन के बाण!!

बरूनी की है धार अस, जैसे तीक्ष्ण कृपाण! 
भौहन में गोरी हँसत, चला प्रेम का बाण!! 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 12, 2024

सौंदर्य,सुगंधित,अप्रतिम तुम
लावण्य,रूप का, संगम तुम

कुंतल,केश,चपल नयना तुम
साँवली,सलोनी,सबला तुम

रूप,माधुर्य का,मेल हो तुम
तीखे,नयनों का,जाल हो तुम

भीगे होठों के,जाम हो तुम
सरल, सरस,स्निग्धा,हो तुम

प्रेम,त्याग की मूरत हो तुम
लय और ताल की सरगम हो तुम
हे प्रिये ! तुम सबसे,अनुपम हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 9, 2024

मैं तुम्हारे साथ चलना चाहता हूँ।
तुझमें ही घुल के पिघलना चाहता हूँ।।

कबसे डूबा हूँ ग़मो की झील में मैं।
संग तेरे मैं उभरना चाहता हूँ।।

कबसे बिखरा हूँ जहां में इस तरह से।
तेरि बाहों में सिमटना चाहता हूँ।।

ज़िंदगी तेरे इशारों में चले हम।
अब कहीं रुक कर ठहरना चाहता हूँ।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 5, 2024

गुनगुनी धूप जब मुस्कराने लगे।
दिन बहारों के तब पास आने लगे।।

फूल चारों तरफ़ जब सुहाने लगे।
मदभरी गंध तब मन को भाने लगे।।

भीग जाता है जब खेत बरसात में,
तब फ़सल धान की लहलहाने लगे।।

आज महफ़िल में फिर आपको देखकर,
हम ख़यालों में दीपक जलाने लगे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 4, 2024

उदास बैठा था बड़ा गुम सुम.....
तभी याद आये चाय और तुम....

चेहरे पर अनायास मुस्कराहट आ गयी
धीरे से जब तुम्हारी आहट आ गयी....

ये बारिश का मौसम और चाय का प्याला
जैसे कर गया अंधेरे में उजाला....

चाय से उठती वो लहराती भाप
जैसे बादलो में लगा दी आग.....

होंठो से लगी तो सुकून आ गया 
उस पर तेरी मौजुदगी लगा खुदा आ गया.....

बस यूँ ही पास बैठे रहो थोड़ी इबादत होने दो
जिंदगी शुरू होती है तेरे आने से 
और चाय की प्याली के खड़खड़ाने से.....

सोचता हूँ दुनिया बस इतनी रहे......
मैं,चाय और तुम जितनी रहे.......

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 1, 2024

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
ढलती रात और नया दिन,
बीता कल और नई सुबह,
स्वाति नक्षत्र और ओस की बूंदे!

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
पौधे से नई कोंपल फूटना
बिन मौसम बारिश का बरसना,

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
गर्म दिन में गुलाबी सी ठंड का एहसास,
ठंडे दिन में गर्म चाय और भुट्टो का स्वाद!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य