Friday, June 28, 2024

तुमको देखने के बाद फिर चाँद को क्यों देखूं,
चाँद ही कहता गया मैं, अपनी मुहब्बत के चाँद को।

तेरे चेहरे की चमक से चाँद फीका हुआ,
आसमाँ पर चाँद पूरा था,मगर तेरे सामने ये आधा लगा।

सब कहते है तुम्हे वो चाँद का टुकड़ा है,
पर मैं कहता चाँद को वो तेरा टुकड़ा है।

इसीलिए मेरे लब पर ये फरियाद आती है,
चांद को देखकर सनम तेरी याद आती है। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 23, 2024

तेरी रहमतों की बारिश सरेशाम हो गई है
मेरी और तेरी कहानी सरेआम हो गई है

मुझे छोड़कर किसी के अब तुम ना हो सकोगे
दुनिया की तू नजर में मेरे नाम हो गई है

तेरे नाम से है मेरी पहचान अब यहां पर
ये पहचान मेरी खुद की गुमनाम हो गई है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 21, 2024

हँसी ख्वाब आँखों में आने की रातें
कोई गीत फिर गुनगुनाने की रातें

कभी रूठ कर फिर मनाने की रातें
तुम्हें अपने दिल में सजाने की रातें

जमाने की नजरों से बचते रहे हम
वही राज सबसे छुपाने की रातें

किसी रोज मिलने बुलाया अकेले
मुहब्बत में ये आजमाने की रातें 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 20, 2024

आओ मेरे पास आ,दे दो सुख अनुभूति!
मैने माना आप को,अदभुत प्रेम विभूति!!

बोलो कुछ क्या मन कहे,निष्ठुर कड़ुवे शब्द!
तुम तो जीवन प्रेम का,तुम क्यों हुए निशब्द!!

अहंकार का प्यार से,करूणा,गला न घोट!
तेरी ऐसी वीमुखता,करे ह्रदय पर चोट !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Tuesday, June 18, 2024

कल-कल करती 
नदिया की धारा सी 
बहती है ज़िंदगी ।

कभी मुड़कर 
पीछे पलटकर नहीं 
आती है ज़िन्दगी ।

नित नव पथ 
वरण करती स्वयं
बढ़ती है ज़िंदगी ।

तट बंध बंधी
कूलों मे सिमटी
वह यहां सभी को
देती है ज़िंदगी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 11, 2024

यही सिलसिला अब चले बस प्रलय तक
निलय नद पुलिन पर बनाया करूँ मैं।

वहीं चाँद आए वहीं चाँदनी हो
प्रणय गान गाएँ मुदित यामिनी हो

घरौंदे वहीं रेत के नित गढेगें। 
लहर के अयन पर उभय नित चढेंगे। 

कभी रूठ जब तू नयन फेर लेना
तुझे चिर निशा तब बनाया करूँ मैं। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Sunday, June 9, 2024

उसे मेरे बिन जीना आता होगा,
मुझे उस बिन जीना नहीं आता। 

किस तरह गुजारू तन्हा जिंदगी, 
मुझे ग़म में भी पीना नहीं आता। 

गुस्ताखियां गुरूर से हुई है अगर,
तो रिश्तों को सीना नहीं आता। 

मुकद्दर का क्या है बदल जाता है,
सदैव सुहाना महीना नहीं आता। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Friday, June 7, 2024

चांदनी रात में हुई थी मुलाकात उनसे
धुंधली सी यादें रह गई बस साथ मेरे

कब कहा उन्होंने इश्क है हमें तुमसे
जब पलके झुका ली थी हमसे उसने

हवाओं ने बिखरी जुल्फें उनकी इस कदर
मनको संभाल ना सके वो मुलाकात हुई थी

लूटकर ले गई बैरन,काली घटाओ के संग
छोड़ गए तन्हा मुझको अंधेरी रातके संग

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Wednesday, June 5, 2024

नयन कटारी लब अंगारी प्रेम की तू जंजीर हो जैसे
रुख पर तेरे लट घुंघराली पिय मिलन की पीर हो जैसे

कजरारे चंचल नैनों में सज काजल भी इठलाता है 
और उस पर पैवस्ता अब्रू आंखों के नाजीर हो जैसे

नथ झूले है नाक पे तेरे झूलती जैसे डाल गौरैया
और नजरों के वार कंटीले दो धारी शमशीर हो जैसे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Sunday, June 2, 2024

पीत वसन कुंदन बदन,
मुख चंद्र लजावन हारे हैं 
दंत धवल कपोल कमल,
ज्यों अरुण अधर रतनारे हैं
गज गामिनी चाल चारु चपल,
मधुर सुधा सम वाणी सफल
विशाल नयन चंचल चितवन,
केश घटा घन कारे हैं
श्रृजनहार की अद्भुत रचना,
छवि मोहक देख कठिन रहना
स्वर्ग की कोई अप्सरा जैसी,
देख मुग्ध जग सारे हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य