खामोशी के समुंदर में छिपे दिल के अल्फाज होते है
कभी कभी हम किनारे के इतने पास होते हैं
तभी लहरों से फिर टकरा जाती है कश्ती
फिर हौसलों की ले के पतवार साथ होते हैं
यूं तो अपनी अपनी कश्ती के मुसाफिर हैं सब
पर बिखरते हैं जब दिल के जज्बात
तो आंसुओं के बादल एक साथ होते हैं
---- सुनिल #शांडिल्य